गणित

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वृत्त

किसी एक निश्चित बिंदु से समान दूरी पर स्थित बिंदुओं का बिन्दुपथ वृत्त कहलाता है। इस निश्चित बिंदु को वृत्त का केंद्र कहा जाता है, और केंद्र और वृत्त की परिधि के किसी भी बिंदु के बीच की दूरी वृत्त की त्रिज्या कहलाती है। वृत्त की त्रिज्या वृत्त की त्रिज्या वह रेखाखण्ड है जो वृत्त […]

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त्रिभुज (Triangle)

तीन असंरेख बिन्दुओं में दो-दो को मिलाने से बने तीन रेखा खण्डों का सम्मिलन, त्रिभुज कहलाता है। अन्तराभिमुख अन्तः कोण त्रिभुज के किसी बहिष्कोण के आसन संपूरक कोण के अतिरिक्त शेष दो अन्तः कोणों को, उस बहिष्कोण के लिए अन्तराभिमुख अन्त: कोण कहा जाता है। त्रिभुज के किसी बहिष्कोण का मान उसके अन्तराभिमुख अन्तः कोणों

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आयत

ऐसा चतुर्भुज जिसकी सम्मुख भुजाएं समांतर हो तथा जिसका प्रत्येक अन्तःकोण समकोण हो, आयत कहलाता है। आयत एक समांतर चतुर्भुज है जिसके सभी कोण समान माप के होते हैं, जिनका मान 90 डिग्री होता है। एक समांतर चतुर्भुज होने के कारण आयत की सम्मुख भुजाएं बराबर लंबाई की होती है और विकर्ण एक दूसरे को

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द्विघात समीकरण

एक द्विघात समीकरण एक बहुपद समीकरण है जिसकी घात 2 होती है। इसका मानक रूप इस प्रकार है:$$ ax^2 + bx + c = 0$$ जहाँ a, b और c अचर होते हैं और a ≠ 0। द्विघात समीकरण के दो मूल होते हैं, जिन्हें x1 और x2 के रूप में लिखा जाता है। द्विघात

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पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem)

पाइथोगोरस प्रमेय (Pythagorean theorem) या बोधायन सूत्र गणित और ज्यामिति का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जिसका उपयोग समकोण त्रिभुजों में भुजाओं की लंबाई ज्ञात करने के लिए किया जाता है। यह कहता है कि: एक समकोण त्रिभुज में, समकोण के सामने वाली भुजा (कर्ण) का वर्ग अन्य दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर

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चरघातांकी श्रेणी (Exponential Series)

चरघातांकी श्रेणी एक ऐसी श्रेणी है जिसमें प्रत्येक पद अपने पूर्ववर्ती पद से एक ही चरघातांकी गुणांक से गुणा होता है। इसे निम्नलिखित रूप में व्यक्त किया जा सकता है: $$a_0 + a_1r + a_2r^2 + a_3r^3 + …$$ जहाँ, a_0 श्रेणी का प्रथम पद है, r चरघातांकी गुणांक है और n श्रेणी का nवाँ

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द्विपद प्रमेय (Binomial Theorem)

द्विपद प्रमेय गणित में एक महत्वपूर्ण बीजगणितीय सूत्र है, जो किसी द्विपद के किसी धन पूर्णांक घातांक का मान निकालने का तरीका बताता है। इस द्विपद में दो चर होते हैं, जिन्हें अक्सर x और y से दर्शाया जाता है। यहाँ सूत्र दिया गया है: $$(a + b)^n = nCr * a^(n-r) * b^r$$ जहाँ:

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लघुगणक (Logarithm)

लघुगणक एक गणितीय क्रिया है जो एक संख्या को दूसरी संख्या के घात के रूप में व्यक्त करती है। लघुगणक एक गणितीय अवधारणा है जो किसी आधार संख्या को कितनी बार स्वयं से गुणा करने पर एक निश्चित संख्या प्राप्त होती है, यह बताता है। लघुगणक के प्रकार लघुगणक दो प्रकार के होते हैं: साधारण

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बीजीय सर्वसमिकाओं के गुणनखंड

“गुणनखंड” गणित में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। इसका मतलब किसी वस्तु (जैसे – संख्या, बहुपद या मैट्रिक्स) को अन्य वस्तुओं के गुणनफल (product) के रूप में तोड़ना होता है। ये अन्य वस्तुएँ संख्याएँ, बीजीय चर या बीजीय व्यंजक हो सकती हैं।गुणनखंड निकालने के कई तरीके हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम

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कलन (Calculus)

कलन (Calculus) गणित का एक प्रमुख क्षेत्र है जिसमें राशियों के परिवर्तन का गणितीय अध्ययन किया जाता है। इसकी दो मुख्य शाखाएँ हैं- अवकल गणित तथा समाकलन गणित। अवकल गणित में किसी राशि के परिवर्तन की दर का अध्ययन किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कार की गति 10 मीटर प्रति सेकंड की

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