वैद्युत क्षेत्र (Electric field)

किसी आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जहां तक कोई अन्य परीक्षण धनावेश बल का अनुभव करता है वैद्युत क्षेत्र ( Electric field ) कहलाता है।

विद्युत फ्लक्स

विद्युत फ्लक्स का मान विद्युत क्षेत्र तथा सदिश क्षेत्रफल के अदिश गुणनफल द्वारा व्यक्त किया जाता है,

विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी पृष्ठ को लम्बवत् भेदने वाली विद्युत क्षेत्र रेखाओं की संख्या उस पृष्ठ से संबंध वैधुत फ्लक्स का परिमाण व्यक्त व्यक्त करती है।

विद्युत फ्लक्स का मान विद्युत क्षेत्र तथा सदिश क्षेत्रफल के अदिश गुणनफल द्वारा व्यक्त किया जाता है, $$\Delta \phi = \vec{E}.\Delta S$$

Electric flux ( φ ) through a closed surface (S) enclosing the total charge (q) is given by, $$\phi =\frac{q}{\epsilon_0}$$ यह गाउस का नियम है।

विद्युत क्षेत्र रेखाएँ

विद्युत क्षेत्र रेखा किसी विद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह काल्पनिक वक्र है जिस पर एक स्वतंत्र व विलगित एकांक धन आवेश गति करने करने के लिए प्रवृत्त होता है। विद्युत क्षेत्र रेखा के किसी बिन्दु पर खीची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा को इंगित करती है। प्रबल विद्युत क्षेत्र में रेखाएँ पास-पास तथा दुर्बल क्षेत्र में ये एक-दूसरे से काफी दूर होती है। एकसमान विद्युत क्षेत्र में क्षेत्र रेखाएं एकसमान दूरी पर समांतर सरल रेखाएं होती है। एक-दूसरे से ये क्षेत्र रेखाएं 3 विमीय दिक्स्थान में है।

एकल धनावेश के कारण क्षेत्र रेखाएं त्रिज्यतः (अरीय) बहिर्मुखी होती है।

एकल ऋणावेश के कारण क्षेत्र रेखाएं त्रिज्यत: अंर्तमुखी होती है।

दो धनावेशों ( 9वी के निकाय के चारों ओर की क्षेत्र रेखाएँ पारस्परिक प्रतिकर्षण दर्शाती है।

परिमाण में समान दो विजातीय आवेशों ( 2, -2) के निकाय, अर्थात् किसी द्विध्रुव के चारों ओर क्षेत्र रेखाएँ आवेशों के बीच पारस्परिक आकर्षण दर्शाती है।

विद्युत क्षेत्र रेखाओं गुणधर्म (Properties)

  • विद्युत क्षेत्र रेखाएँ धन आवेश से चलकर ऋणावेश पर समाप्त होती है।
  • इसके किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा इंगित करती है।
  • क्षेत्र रेखाएँ परस्पर काटती नहीं हैं।
  • विपरीत प्रकृति के आवेशों में ये रेखाएँ खिंची हुई लचकदार डोरी की तरह लम्बाई में सिकुड़ने का प्रयत्न करती हैं। यह आकर्षण का परिचायक है।
  • सजातीय आवेशों में ये रेखाएँ अपनी लम्बवत् दिशा में एक-दूसरे से हटने का प्रयत्न करती है। यह प्रतिकर्षण का परिचायक है।
  • क्षेत्र रेखाएँ आवेशित चालक की पृष्ठ से समकोण बनाती हुई या तो प्रारम्भ होती हैं या फिर एकत्रित होती हुई प्रदर्शित होती हैं।

बिन्दु आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

किसी स्वेच्छ बिन्दु पर स्थित बिन्दु आवेश (+q) से दूरी r पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता, $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε_0 } \frac{q}{r^2} \hat r$$ तथा -q आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = -\frac {1}{4~\pi~ε_0 } \frac{q}{r^2} \hat r$$

यहॉं (E) की दिशा फ्लक्स के धनात्मक होने पर केन्द्र से बाहर की ओर तथा ऋणात्मक होने पर केन्द्र की ओर इंगित होती है।

अनंत रेखीय आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

एक अनंत रेखीय आवेश, जिसके इकाई लंबाई पर आवेश का मान (lambda) है, से r दूरी पर स्थित बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = \frac {\lambda}{2~\pi~ε_0 r} \hat r$$

अपरिमित समरूप आवेशित अचालक पट्टिका के कारण विद्युत क्षेत्र

अपरिमित समरूप आवेशित अचालक पट्टिका, जिसका पृष्ठ आवेश घनत्व (sigma) है, से दूरी r पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = \frac{\sigma}{2\epsilon}\hat r$$ अर्थात अपरिमित समरूप आवेशित अचालक पट्टिका के निकट बिंदुओं के लिए विद्युत क्षेत्र की तीव्रता समान रहती है।

अपरिमित समरूप आवेशित चालक पट्टिका के कारण विद्युत क्षेत्र

अपरिमित समरूप आवेशित चालक पट्टिका, जिसका पृष्ठ आवेश घनत्व (sigma) है, से दूरी r पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = \frac{\sigma}{\epsilon}\hat r$$ अर्थात अपरिमित समरूप आवेशित चालक पट्टिका के निकट बिंदुओं के लिए विद्युत क्षेत्र की तीव्रता समान रहती है।

समरूप आवेशित गोलीय कोश के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

त्रिज्या R के गोलीय कोश के पृष्ठ पर q आवेश समान रूप से वितरित है।

(1) गोलीय कोश के केन्द्र से दूरी r पर स्थित बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता, बिन्दु गोलीय कोश के बाहर स्थित हो, (r > R) $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε_0 } \frac{q}{r^2} \hat r$$ अतः बाह्य बिन्दु के लिए गोलीय कोश पर आवेश इस प्रकार व्यवहार करता है जैसे कि सम्पूर्ण आवेश अभीष्ट गोलीय कोश के केन्द्र पर स्थित हो।

(2) जब बिन्दु गोलीय कोश के पृष्ठ स्थित हो, (r = R)

बिंदु के गोलीय कोश के पृष्ठ पर होने की स्थिति में r=R होता है। अतः $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε_0 } \frac{q}{R^2} \hat r$$ इस स्थिति में R दूरी r के न्यूनतम मान के तुल्य है। अतः आवेशित गोलीय कोश के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मान अधिकतम होता है।

(3) जब बिन्दु गोलीय कोश के अंदर स्थित हो, (r < R)

आवेशित गोलीय कोश के अंदर केंद्र से दूरी r पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = 0$$ अर्थात आवेशित गोलीय कोश के अंदर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है

समरूप आवेशित अचालक गोले के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता

यदि एक त्रिज्या R का अचालक गोला समान रुप से आवेशित है तो इसका आवेश q इसके आयतन v पर एक समान रूप से वितरित रहता है। अतः इसका आयतन आवेश घनत्व होगा $$\rho = \frac {q}{4/3~\pi R^3}$$

(1) अचालक गोले के केन्द्र से दूरी r पर स्थित बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता, बिन्दु अचालक गोले के बाहर स्थित हो, (r > R) $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε } \frac{q}{r^2} \hat r$$

(2) जब बिन्दु अचालक गोले के पृष्ठ स्थित हो, (r = R)

बिंदु के अचालक गोले के पृष्ठ पर होने की स्थिति में r=R होता है। अतः $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε } \frac{q}{R^2} \hat r$$ इस स्थिति में R दूरी r के न्यूनतम मान के तुल्य है। अतः आवेशित अचालक गोले के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मान अधिकतम होता है।

(3) जब बिन्दु अचालक गोले के अंदर स्थित हो, (r < R)

आवेशित अचालक गोले के अंदर केंद्र से दूरी r पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता $$\vec{E} = \frac {1}{4~\pi~ε } (\frac{q}{R^3})(r) \hat r$$

स्थिरवैद्युत परिरक्षण

ऐसा चालक जिसमें कोई कोटर ( गुहा) हो तथा उस कोटर के भीतर कोई आवेश न हो तो कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। कोटर के बाहर चाहे कितना भी आवेश तथा कैसा भी विद्युत क्षेत्र विन्यास क्यों न हो, उस चालक में कोई भी कोटर बाध्य विद्युत क्षेत्रों के प्रभाव से सदैव परिरक्षित रहती है। कोटर के भीतर विद्युत क्षेत्र सदैव ही शून्य होता है। इसे स्थिरवैद्युत परीरक्षण कहते है। प्रभाव का उपयोग संवेदनशील उपकरणों को विद्युत प्रभावों से बचाने में किया जाता है।

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