सेल का ऊपरी सिरा (टोपी) धनात्मक व नीचे स्थित जस्ते का वृताकार पैंदा ऋणात्मक होता है। सेल के अन्दर रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिनमें रासायनिक क्रिया से हमें विद्युत प्राप्त होती है। लंबे समय तक काम में लेने पर सेल से विद्युत प्रवाह बंद हो जाता है। सेल से विद्युत प्रवाह बन्द हो जाने का अर्थ यह हुआ कि सेल में प्रयुक्त रासायनिक पदार्थों के मध्य क्रिया बंद हो चुकी है। अब हमें उसकी जगह नया सेल उपयोग में लेना पड़ेगा ।
विद्युत वाहक बल
एकांक आवेश को पुरे परिपथ में प्रवाहित कराने में सेल द्वारा किये गए कार्य को सेल का विद्युत वाहक बल कहते है। इसे ‘E’ से प्रदर्शित करते हैं।
विद्युत वाहक बल का सूत्र: यदि किसी परिपथ में q कुलाम आवेश प्रवाहित होने से सेल द्वारा दी गई ऊर्जा W हो तो सेल के विद्युत वाहक बल का सूत्र E=W/q होता है। इसका मात्रक वोल्ट होता है। विद्युत वाहक बल प्रत्येक सेल का अभिलाक्षणिक गुण होता है।
टर्मिनल विभवान्तर
एकांक आवेश को परिपथ में किन्ही दो बिंदुओं के बीच प्रवाहित कराने में सेल द्वारा किये गए कार्य को उन दो बिंदुओं के बीच का विभवान्तर कहते है। इसे टर्मिनल वोल्टेज भी कहते हैं।
सेल का आतंरिक प्रतिरोध
जब किसी सेल के घोल में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो सेल का घोल विद्युत धारा के मार्ग में प्रतिरोध लगाता है जिसे सेल का आतंरिक प्रतिरोध कहते हैं। इसे r से प्रदर्शित करते हैं।
सेल के आंतरिक प्रतिरोध की निर्भरता
(a) सेल के दोनों प्लेटों के बीच की दूरी पर
सेल का आंतरिक प्रतिरोध सेल के दोनों प्लेटों के बीच के दूरी के समानुपाती होता है।
(b) सेल के विलयन में डूबे प्लेटों के पृष्ठीय क्षेत्रफल पर
आतंरिक प्रतिरोध प्लेटों के द्रव में दुबे हुए क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
(c) सेल के बिलयन की सांद्रता पर
आतंरिक प्रतिरोध विद्युत अपघट्य घोल के सांद्रता के समानुपाती होता है।
(d) सेल के विलयन की प्रकृति तथा ताप पर
विलयन की प्रकृति परिवर्तित हो जाने पर सेल का आतंरिक प्रतिरोध भी बदल जाता है। सेल के लगातार प्रयोग किये जाने पर सेल का ताप बढ़ते रहता है जिससे सेल का प्रतिरोध भी बढ़ता जाता है।
सेल के आतंरिक प्रतिरोध, विद्युत वाहक बल तथा सेल के टर्मिनल विभवान्तर में सम्बन्ध
जहाँ
V = सेल का टर्मिनल विभवान्तर
E = विद्युत वाहक बल
i = विद्युत धारा
r = आतंरिक प्रतिरोध