वर्तुल गति (Circular Motion)

किसी वृत्ताकार पथ में होने वाली गति को वृत्तीय गति या वर्तुल गति (Circular Motion) कहते है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति , वृत्ताकार पथ पर खिलौना ट्रेन की गति आदि वर्तुल गति (Circular Motion) के उदाहरण है।

वर्तुल गति (Circular Motion) के उदाहरण

  • सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति
  • वृत्ताकार पथ पर खिलौना ट्रेन की गति
  • परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन का कक्षा में घूमना

वर्तुल गति के प्रकार

वर्तुल गति एक प्रकार की गति है जिसमें कोई पिंड वृत्ताकार पथ में गति करता है। वर्तुल गति के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

समान वृत्तीय गति

इस प्रकार की गति में, पिंड वृत्ताकार पथ में निश्चित गति से गति करता है। पिंड का वेग निश्चित रहता है, लेकिन इसका त्वरण केंद्र की ओर होता है। इस त्वरण को केंद्रापसारक त्वरण कहा जाता है।

असमान वृत्तीय गति

इस प्रकार की गति में, पिंड वृत्ताकार पथ में परिवर्तनशील गति से गति करता है। पिंड का वेग और त्वरण दोनों समय के साथ बदलते हैं।

अभिकेन्द्र त्वरण (centripetal acceleration)

जब कोई कण एकसमान चाल से वृतीय गति करता है तो इसके वेग में निरंतर परिवर्तन से इसमें त्वरण उत्पन्न होता है जिसे अभिकेन्द्र त्वरण (centripetal acceleration) कहते है। यह त्वरण सदैव वृतीय पथ के केंद्र की ओर होता है। अत: एकसमान चाल से त्वरित गति तभी संभव है जब कण पर एक नियत बल लग रहा हो। कण पर कार्यरत इस बल की दिशा सदैव केंद्र की ओर होती है जिसे अभिकेन्द्रीय बल (centripetal force) कहते है।

इसी अभिकेन्द्रीय बल की उपस्थिति के कारण ही कण वृतीय गति कर पाता है अन्यथा कण वृतीय पथ की स्पर्श रेखा की दिशा में दूर चला जाता है।

अभिकेन्द्रीय त्वरण निम्नलिखित प्रकार से दिया जाता है,
$$a_c = \vec{\omega}\times\vec{v}$$

जहां \(\vec{\omega}\) कोणीय वेग तथा \(\vec{v}\) रेखीय वेग है।

कोणीय वेग

वृत्तीय गति कर रहे कण का कोणीय वेग ω निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है,
ω= dθ/dt
यहां,
dθ = कोणीय विस्थापन।
dt = समय।

कोणीय त्वरण

वृत्तीय गति कर रहे कण का कोणीय त्वरण α निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है,
α= dω/dt
यहां,
dω = कोणीय वेग।
dt = समय।

Scroll to Top