ब्लैक होल (Black Hole)

Image source : NASA

कृष्ण विवर या ब्लैक होल (Black Hole) अंतरिक्ष में ऐसा क्षेत्र है, जिसके द्रव्यमान का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि आस-पास का कोई भी पिंड उसके गुरुत्वाकर्षण से बच नहीं पाता, प्रकाश भी नहीं और इसलिए वह दिखाई नहीं देता।

कृष्ण विवर के चारों ओर घटना क्षितिज नामक एक सीमा होती है जिसमें वस्तुएँ गिर तो सकती हैं परन्तु बाहर नहीं आ सकती। इसे “ब्लैक” (कृष्ण) इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अपने ऊपर पड़ने वाले सारे प्रकाश को भी अवशोषित कर लेता है और कुछ भी परावर्तित नहीं करता। यह ऊष्मागतिकी में ठीक एक आदर्श कृष्णिका की तरह है। कृष्ण विवर का क्वांटम विश्लेषण यह दर्शाता है कि उनमें तापमान और हॉकिंग विकिरण होता है।

ब्लैक होल (Black Hole) का निर्माण कैसे हुआ?

जब किसी बड़े तारे का पूरा का पूरा ईंधन जल जाता है तो उसमें एक ज़बरदस्त विस्फोट होता है, जिसे सुपरनोवा कहते हैं। विस्फोट के बाद जो पदार्थ बचता है, वह धीरे-धीरे सिमटना शुरू होता है और बहुत ही घने पिंड का रूप ले लेता है, जिसे न्यूट्रॉन स्टार कहते हैं। अगर न्यूट्रॉन स्टार बहुत विशाल है तो गुरुत्वाकर्षण का दबाव इतना होगा कि वह अपने ही बोझ से सिमटता चला जाएगा और इतना घना हो जाएगा कि ब्लैक होल बन जाएगा और दिखाई नहीं देगा। सवाल ये उठता है कि जब ब्लैक होल दिखाई ही नहीं देता तो ये कैसे कहा जा सकता है कि यह ब्लैक होल है। इसके कुछ प्रमाण हैं। एक तो जब भी कोई पिंड या पदार्थ ब्लैक होल के नज़दीक पहुंचता है तो उसकी तरफ़ खिंचता चला जाता है। इस प्रक्रिया में वह लाख़ों डिग्री के तापमान पर जलता है और फिर ग़ायब हो जाता है जो इस बात का प्रमाण है कि वह ब्लैक होल में समा गया। एक और प्रमाण ये है कि जहां ब्लैक होल होता है, उसके गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र के आसपास मौजूद तारे उसका चक्कर लगाते रहते हैं। इनकी गति को देखकर खगोलज्ञ ब्लैक होल की स्थिति और उसके आकार का अनुमान लगा सकते हैं।

ब्लैक होल सिद्धांत क्या है?

ब्लैक होल अंतरिक्ष का एक ऐसा क्षेत्र होता है जहाँ पदार्थ अपने आप खत्म हो जाते हैं, कुछ बड़े तारों के विस्फोट के साथ टूटने से ब्लैक होल पैदा होते हैं और एक गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के साथ अविश्वसनीय रूप से घनी वस्तु का निर्माण करते है जो इतना मज़बूत होता है कि यह अपने चारों ओर के स्पेस-टाइम को परिवर्तित कर देता है।

ब्लैक होल की खोज किसने की?

ब्लैक होल की खोज कार्ल स्क्वार्जस्थिल्ड (Karl Schwarzschild) और जॉन व्हीलर (John Wheeler) ने वर्ष 1916 में की थी।

ब्लैक होल के प्रकार

ब्लैक होल के चार प्रकार होते हैं: स्टेलर ब्लैक होल (stellar), इंटरमीडिएट ब्लैक होल (intermediate), सुपरमैसिव ब्लैक होल (supermassive) और लघु ब्लैक होल (miniature)।

FAQ

क्या ब्लैक होल की खोज की गई है?

ब्रिटेन में खगोलविदों द्वारा सूर्य के द्रव्यमान से लगभग 30 अरब गुना बड़े एक अतिविशाल ब्लैक होल की खोज की गई है। डरहम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कहा कि विशालकाय ब्लैक होल अब तक पाए गए सबसे बड़े ब्लैक होल में से एक है।

ब्लैक होल सिद्धांत किसने दिया?

रोजर पेनरोज ने ब्लैक होल के निर्माण को आइंस्टीन की सापेक्षता सिद्धांत से सिद्ध किया। इनके इसी महान कार्य के लिए इन्हे भौतिकी का नोबल पुरस्कार दिया गया।

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