प्रकाश (Light)

वैद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के 400nm से 750 mm तरंगदैर्ध्य के विकिरणो को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश तरंग को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक किसी सरल रेखा के अनुदिश गमन करते हुए माना जा सकता है । इस पथ को प्रकाश किरण कहते है तथा इसी प्रकार की किरणों के समूह से प्रकाश पुंज बनता है।

प्रकाश के स्रोत

सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है, परन्तु सूर्य का प्रकाश दिन के समय ही प्राप्त होता है। रात्रि के समय प्रकाश उत्पन्न करने के लिए दीपक, लालटेन, विद्युत बल्ब, सी.एफ.एल. ट्यूब लाईट आदि साधनों का उपयोग किया जाता है। ये वस्तुएँ सूर्य की तरह स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं। जो वस्तुएँ सूर्य की तरह स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं उन्हें ‘दीप्त पिंड’ (प्रकाश स्रोत) कहते हैं। अक्सर रात्रि के समय चन्द्रमा का प्रकाश भी प्राप्त होता है। चन्द्रमा का यह प्रकाश वास्तव में सूर्य का ही प्रकाश होता है। जब सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा से टकराकर प पर पहुँचता है तो रात्रि के समय पृथ्वी पर इसका हल्का प्रकाश प्राप्त होता है। चूंकि चन्द्रमा स्वयं के प्रकाश से नहीं चमकता है, अतः यह दीप्त पिंड नहीं है। प्रकाश स्रोतों में से कुछ प्रकाश स्रोत प्राकृतिक हैं और कुछ मानव निर्मित (कृत्रिम) हैं।

पारदर्शी, अपारदर्शी एवं पारभासी वस्तुएँ

वस्तुओं में से प्रकाश के गुजरने के आधार पर वस्तुओं को तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं-

पारदर्शी वस्तुएँ

ऐसी वस्तुएँ जिनके आर-पार प्रकाश अच्छी तरह से गुजर सकता है तथा जिनके दूसरी तरफ स्थित वस्तुओं को हम स्पष्ट देख सकते हैं. उन्हें पारदर्शी कहते हैं। काँच वायु, साफ जल, कुछ प्लास्टिक आदि पारदर्शी वस्तुओं के उदाहरण है।

अपारदर्शी वस्तुएँ

ऐसी वस्तुएँ जिनमें से प्रकाश नहीं गुजर सकता है तथा जिनके दूसरी तरफ स्थित वस्तु को हम बिल्कुल नहीं देख पाते हैं, उन्हें अपारदर्शी कहते हैं। धातुएँ लकड़ी गत्ता पत्थर आदि अपारदर्शी वस्तुओं के उदाहरण है।

पारभासी वस्तुएँ

ऐसी वस्तुएँ जो अपने में से प्रकाश को आंशिक रूप से ही गुजरने देती हैं तथा जिनके दूसरी तरफ स्थित वस्तु हमें स्पष्ट दिखाई नहीं देती है, उन्हें पारभासी कहते हैं। जैसे-घिसा हुआ काँच, तेल लगा पेपर, बटर पेपर आदि पारभासी वस्तुओं के उदाहरण हैं।

छाया

जब प्रकाश किसी अपारदर्शी वस्तु पर गिरता है तो वस्तु के पीछे दीवार या पर्दे पर जो आकृति बनती है, उसे छाया कहते हैं। छाया प्रकाश स्रोत के विपरीत दिशा में बनती है।

अपवर्तनांक

किसी माध्यम का अपवर्तनांक n निम्न सूत्र से ज्ञात किया जाता है- $$n = c/v$$ जहाँ,

  • c = प्रकाश की निर्वात में चाल।
  • v = प्रकाश की माध्यम में चाल।

अपवर्तनांक एक विमाहीन राशि है।

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