पदार्थों का पृथक्करण

प्रकृति में अधिकांश पदार्थ अशुद्ध रूप में ही पाये जाते है। अतः इनका शुद्धिकरण आवश्यक है। भिन्न-भिन्न पदार्थों के शुद्धिकरण की भिन्न – भिन्न विधिया है।

मिश्रण के अवयवों को पृथक (अलग) करने की आवश्यकता

मिश्रणों से अशुद्धियों को पृथक करके हम उनकी गुणवत्ता, शुद्धता, सामर्थ्य एवं उपयोगिता बढ़ा सकते हैं। साथ ही मिश्रण के घटकों का अनुपात ज्ञात कर सकते हैं। जैसे सीमेन्ट में अशुद्धि के कारण उसकी सामर्थ्य कम हो जाती है। सोने में अशुद्धियों से उसकी चमक कम हो जाती है। अशुद्ध जल को पीने से हम बीमार हो सकते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि मिश्रण से अवयवों को पृथक करना हमारे जीवन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

पृथक्करण की विधियां

मिश्रण से उसके अवयवों को पृथक करने (पृथक्करण) की कई विधियाँ प्रचलित हैं।

हस्त चयन

हस्त चयन की इस विधि का उपयोग गेहूँ, चावल तथा दालों से कुछ बड़े मिट्टी के कणों, पत्थर तथा भूसे को पृथक करने में किया जा सकता है। ऐसी अशुद्धियों की मात्रा प्रायः बहुत अधिक नहीं होती है। ऐसी स्थितियों में हस्त-चयन द्वारा पदार्थों को पृथक करना एक सुविधाजनक विधि लगती है।

थ्रेशिंग

सूखे पौधों की डंडियों से अन्नकणों अथवा अनाज़ को पृथक करने के प्रक्रम को थ्रेशिंग कहते हैं। इस प्रक्रम में डंडियों को पीटकर अन्नकणों को पृथक किया जाता है। कभी-कभी श्रेशिंग का कार्य बैलों की सहायता से किया जाता है। अत्यधिक मात्रा के अन्नकणों को डंडियों से पृथक करने के लिए श्रेशिंग मशीनों का उपयोग भी किया जाता है।

निष्पावन

निष्पावन का उपयोग पवनों अथवा वायु के झोंकों द्वारा मिश्रण से भारी तथा हल्के अवयवों को पृथक करने में किया जाता है। इस विधि का उपयोग हल्के भूसे को भारी अन्नकणों से पृथक करने के लिए किया जाता है। इसमें भूसे के हल्के कण पवन के साथ उड़कर दूर एकत्र हो जाते हैं, जबकि भारी अन्नकण पृथक होकर निष्पावन प्लेटफार्म के निकट एक ढेर बना लेते हैं।

चालन

चालन विधि का उपयोग मिश्रण के दो ऐसे अवयवों, जिनकी आमापों में अंतर हो, को पृथक करने में किया जाता है।

आटे के छोटे कण चालनी के छिद्रों द्वारा निकल जाते हैं जबकि बड़ी अशुद्धियाँ चालनी में रह जाती हैं। प्रायः आटे की मिल में गेहूँ को पीसने से पहले पत्थरों तथा भूसे जैसी अशुद्धियों को हटाया जाता है। साधारणतया गेहूं की बोरी को एक तिरछी चालनी पर डाला जाता है। चालन द्वारा पत्थर, डंडियाँ तथा भूसा जो निष्पावन तथा थ्रेशिंग के बाद गेहूँ में रह जाते हैं, को दूर किया जाता है।आपने इसी प्रकार के बड़े-बड़े चालनों को भवन निर्माण वाले स्थानों पर रेत से कंकड़ तथा पत्थर पृथक करने के लिए उपयोग में लाते हुए देखा होगा

अवसादन व निस्तारण

मिश्रण में जल मिलाने पर भारी अवयवों के नीचे तली में बैठ जाने के प्रक्रम को अवसादन कहते हैं। अवसादित मिश्रण को बिना हिलाए जल को मिट्टी सहित उड़ेलने की क्रिया को निस्तारण कहते हैं।

यह सिद्धांत ऐसे द्रवों के मिश्रण को पृथक करने में भी उपयोग में लाया जाता है जो आपस में मिश्रित नहीं होते। उदाहरण के लिए, तेल तथा जल को उनके मिश्रण से इसी विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है। यदि द्रव के ऐसे मिश्रणों को कुछ समय के लिए रखा रहने दिया जाए तो वे दो पृथक-पृथक परतों में बँट जाते हैं। इसके बाद जो अवयव ऊपरी परत बनाता है उसे निस्तारण द्वारा पृथक कर सकते हैं।

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