दर्पण (Mirror)

कांच अथवा पारदर्शी पदार्थ के पीछे वाले भाग पर परावर्तक आवरण (चांदी अथवा एलुमिनियम की परत) लगाकर उन्हें दर्पण या परावर्तक पृष्ठ की तरह उपयोग में लिया जा सकता है।

दर्पण के प्रकार

दर्पण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं : समतल दर्पण (plain mirror) तथा गोलीय दर्पण (Spherical mirror)

चिन्ह परिपाटी

  • सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव (P) से मापी जाती है।
  • बिंब सदैव बांई ओर रखा जाता है, जिससे आपतित किरण को सदैव बांई से दांई ओर गमन करता हुआ लिया जा सके।
  • धुव्र के बांई ओर की सभी दूरियाँ ऋणात्मक और दांई ओर को दूरियां धनात्मक मानी जाती है।
  • मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर अभिलम्बवत दिशा में मापी गई दूरियां धनात्मक और मुख्य अक्ष के नीचे मापी गई दूरियां ऋणात्मक मानी जाती है।

प्रतिबिंब रचना के लिए किरण आरेख

  • वक्रता केन्द्र से गुजरने वाली प्रकाश की किरण अपने पथ पर वापस लौट आती है।
  • मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश की किरण, परावर्तन के बाद फोकस से होकर गुजरती है।
  • फोकस से गुजरने वाली प्रकाश की किरण, मुख्य अक्ष के समांतर परावर्तित होती है।
  • कोई किरण जो ध्रुव पर किसी भी कोण पर आपत्ति होती है। परावर्तित किरण, परावर्तन के नियमों का पालन है।

दर्पणों के उपयोग

  • अपनी छवि देखने के लिये (प्राय: समतल दर्पण)
  • गाडियों में – पीछे से आ रही दूसरी गाडियों के देखने के लिये (उत्तल दर्पण)
  • प्रकाशीय यंत्रों (दूरदर्शी, सूक्ष्मदर्शी आदि) में
  • प्रकाश को एक बिन्दु पर केन्द्रित करने के लिए

समतल दर्पण

जिस दर्पण का परावर्तक पृष्ठ समतल होता है उसे समतल दर्पण कहते है। कांच की समतल प्लेट पर एक ओर पाॅलिश करके समतल दर्पण बनाया जा सकता है।

समतल दर्पण से बने प्रतिबिंब की विशेषताएं

  • समतल दर्पण में बना प्रतिबिंब सीधा एवं आकार वस्तु के बराबर होता है।
  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी कि दर्पण से वस्तु (बिंब) की दूरी होती है।
  • समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी होता है।
  • समतल दर्पण में प्रतिबिंब में दांया भाग “बांया” दिखाई देता है तथा बांया भाग “दांया” दिखाई देता है। इस घटना को पार्श्व परिवर्तन कहते है।

समतल दर्पण की फोकस दूरी व आवर्धन

समतल दर्पण में बना प्रतिबिंब सीधा एवं आकार में वस्तु के बराबर होता है। अतः इसका आवर्धन गुणांक m =+1 होता है। समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है।

बहुप्रतिबिंब

किसी कोण पर रखे दो समतल दर्पण के बीच रखी गई वस्तु के प्रतिबिंबों की संख्या (n) निम्न प्रकार होगी-
$$n = \frac{{360}^{\circ}}{\theta}-1$$
जहां, θ दर्पणों के मध्य कोण है।
यदि 360 डिग्री में कोण के मान का भाग देने पर भागफल पूर्णांक प्राप्त नहीं होता है तो प्रतिबिंबों की संख्या के लिए हम अगला पूर्णांक लेते है। जैसे यदि कोण का मान 50 डिग्री है तो (360/50)-1=6.2 आएगा। जिसका अगला पूर्णांक 7 होगा। अतः 50 डिग्री कोण पर प्रतिबिंबों की संख्या 7 होगी।
यदि दोनों दर्पण के मध्य कोण 0 डिग्री हो अर्थात दोनों समांतर रखे हो तो इसके मध्य रखी रखी वस्तु के अनंत प्रतिबिंब बनेंगे।

समतल दर्पण के उपयोग

  • परिदर्शी में दो समतल दर्पण उपयोग में लाए जाते है। परिदर्शियों का उपयोग पनडुब्बियों, टेंकों तथा बंकरों में छिपे सैनिकों द्वारा बाहर की वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है।
  • समतल दर्पण का उपयोग चेहरा देखने के लिए किया जाता है।
  • समतल दर्पण का उपयोग बहूमूर्तिदर्शी (कैलाइडोस्कोप) में किया जाता है।

जब किसी दर्पण का परावर्तक पृष्ठ गोलीय होता है तो वह गोलीय दर्पण कहलाता है। गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ को किसी खोखले गोले का भाग मान सकते है। गोलीय दर्पण से बने प्रतिबिंब की आकृति दर्पण के वक्र पृष्ठ की प्रकृति पर निर्भर करती है।

गोलीय दर्पण

गोलीय दर्पण के प्रकार

गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है-
1. उत्तल दर्पण या अपसारी दर्पण
2. अवतल दर्पण या अभिसारी दर्पण

उत्तल दर्पण

जिस गोलीय दर्पण का बाहर की ओर वक्रित पृष्ठ परावर्तक के रूप में कार्य करता है उसे उत्तल दर्पण कहते है।
प्रकाश स्रोत से आने वाली प्रकाश की एक दूसरे के समांतर आने वाली किरणों को उत्तल दर्पण अपसरित करता है (फैला देता है), इसलिए उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण भी कहते हैं।

अवतल दर्पण

जिस गोलीय दर्पण का अंदर की ओर वक्रित पृष्ठ परावर्तक के रूप में कार्य करता है उसे अवतल दर्पण कहते है।
प्रकाश स्रोत से आने वाली प्रकाश की एक दूसरे के समांतर आने वाली किरणों को अवतल दर्पण अभिसारित (अभिकेंद्रित) करता है, इसलिए उत्तल दर्पण को अभिसारी दर्पण भी कहते हैं।

दर्पण सूत्र

एक गोलीय दर्पण में
(1) ध्रुव से बिंब की दूरी u कहलाती है,
(2) ध्रुव से प्रतिबिंब की दूरी v कहलाती है,
(3) ध्रुव से फोकस की दूरी f कहलाती है, ये तीनों राशियां एक समीकरण द्वारा सम्बद्ध है जिसे दर्पण सूत्र कहा जाता है
$$\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}$$
यह सूत्र सभी प्रकार के गोलीय दर्पण के लिये मान्य है।

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