जल चक्र (Water cycle)

जल स्रोत से जल वाष्पीकरण द्वारा वाष्प के रूप में ऊपर उठता है। जल वाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण द्वारा जल वर्षा के रूप में पुनः जल स्रोतों में आता है। इस चक्र को जल चक्र कहते है।

जल चक्र पृथ्वी पर पानी के एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होने और एक भंडार से दूसरे भंडार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता, बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है।

जल चक्र के चार मुख्य चरण हैं:

  • वाष्पीकरण – सूर्य की गर्मी से पानी गर्म होकर वाष्प में बदल जाता है। यह वाष्प वायुमंडल में ऊपर उठती है।
  • उपरिक्षेपण – वायुमंडल में ऊपर उठती हुई वाष्प ठंडी होकर संघनित हो जाती है और बादल बन जाते हैं।
  • वर्षा – बादल से वर्षा, हिमपात या ओलावृष्टि होती है।
  • अन्तःस्रवण – वर्षा का कुछ पानी रिस कर भूमि में चला जाता है और भूजल का निर्माण करता है।
  • भापीकरण – भूमि और पौधों से पानी वाष्प में बदल जाता है और वायुमंडल में वापस चला जाता है।

जल चक्र पृथ्वी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:

  • पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। पौधे, जानवर और मनुष्य सभी पानी के बिना जीवित नहीं रह सकते।
  • पृथ्वी की जलवायु को नियंत्रित करता है। वाष्पीकरण पृथ्वी को ठंडा रखता है, और वर्षा जलवायु को संतुलित करती है।
  • मौसम को नियंत्रित करता है। वर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि सभी मौसम के पैटर्न को प्रभावित करती हैं।
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