घर्षण (friction)

जब हम किसी पिंड को समतल सतह पर धक्का लगाकर गतिशील करते है तो उसे बिना रुके निरंतर गति करते रहना चाहिए। लेकिन वास्तव में हम देखते है कि पिंड अंततः रुक जाता है। इसका कारण यह है कि समतल सतह पिंड की गति का विरोध करती है। अत: समतल सतह और पिंड के बीच आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले बल को घर्षण (friction) या घर्षण बल कहते है।
किसी पिंड की एकसमान समान गति बनाए रखने के लिये उस पर घर्षण (friction) बल के बराबर बाह्य बल आरोपित करना पड़ेगा।

स्थैतिक घर्षण (Static friction)

किसी समतल सतह पर स्थित पिंड पर बाह्य बल लगाते है तो उसके गतिशील होने से पूर्व तक कार्यरत घर्षण (friction) को स्थैतिक घर्षण ( static friction) कहते है। अत: स्थैतिक घर्षण (static friction) सम्पर्क तलो के मध्य आपेक्षिक गति आरंभ होने से पहले कार्य करता है।

पिंड के गतिशील होने से ठीक पूर्व तक कार्यरत घर्षण के अधिकतम मान को सीमांत घर्षण बल ( limiting friction force ) कहते है । सीमांत घर्षण बल (fs)max अभिलंब प्रतिक्रिया बल N के अनुक्रमानुपाती होता है।

(fs)max ∝ N

or (fs)max = μs N

इसे स्थैतिक घर्षण नियम कहते है।

यहां μs अनुक्रमानुपाती स्थिरांक है जिसेस्थैतिक घर्षण गुणांक ( static friction coefficient) कहते है, जो केवल संपर्क पृष्ठों ( समतल सतह एवं पिंड ) के युगल पर निर्भर करता है।

गतिज घर्षण ( Kinetic friction )

यदि किसी समतल सतह पर स्थित पिंड पर संपर्क तल के समानांतर आरोपित बल का मान स्थैतिक घर्षण बल के अधिकतम मान (fs)max से अधिक हो जाता है तो पिंड समतल सतह पर सरकना आरंभ कर देता है। इस स्थिति में समतल सतह एवं पिंड के बीच आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को गतिज अथवा सर्पी घर्षण कहते है। गतिज घर्षण संपर्क पृष्ठों के क्षेत्रफल एवं पिंड के वेग पर निर्भर नहीं करता है। गतिज घर्षण अभिलंब प्रतिक्रिया बल के अनुक्रमानुपाती होता है।

(fk)max ∝ N

or (fk)max = μk N

इसे गतिज घर्षण नियम कहते है।

यहां μk अनुक्रमानुपाती स्थिरांक है जिसे गतिज घर्षण गुणांक (kinetic friction coefficient) कहते है, जो केवल संपर्क पृष्ठों ( समतल सतह एवं पिंड ) के युगल पर निर्भर करता है।

स्थैतिक घर्षण गुणांक का मान गतिज घर्षण गुणांक से अधिक होता है।

लोटनिक घर्षण (rolling friction)

जब कोई पिंड किसी तल पर लोटनिक गति करता है तो उस समय उनके संपर्क पृष्ठों में अल्प समय के लिये विरूपण होता है जिससे पिंड तल के संपर्क बिन्दु पर गड्ढा तथा उसके आगे उभार उत्पन्न करता है। इस उभार के कारण लोटनिक गति करता पिंड घर्षण बल का अनुभव करता है, जिसे लोटनिक घर्षण कहते है।

लोटनिक घर्षण गुणांक μr का मान स्थैतिक घर्षण गुणांक μs तथा गतिज घर्षण गुणांक μk से अत्यल्प होता है। इसी तथ्य के कारण प्राचीन काल में पहिये का आविष्कार हो पाया।

Scroll to Top