गति (Motion)

जब किसी पिंड (Body) की स्थिति समय के साथ बदलती है तो वह गतिमान अवस्था में होता है। अत: किसी पिंड की स्थिति में परिवर्तन को गति (Motion) कहते है।

किसी पिंड की गति के अध्ययन के लिये हमें निर्देश तंत्र की आवश्यकता होती है। हम गति (Motion) का वर्णन एक चुने हुए निर्देश तंत्र (Frame of Reference) के सापेक्ष करते है। यदि चुने हुए निर्देश तंत्र (Frame of Reference) के सापेक्ष पिंड के निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होते है तो वह गतिशील तथा अपरिवर्तित रहते है तो वह पिंड विरामावस्था में होता है। उदाहरणार्थ पृथ्वी पर खड़े व्यक्ति को पेड़-पौधे आदि विरामावस्था में दिखाई देते है जबकि चलती हुई रेलगाड़ी में बैठे व्यक्ति को गति (Motion) करते हुए दिखाई देते।

जब किसी पिंड के निर्देशांको (x,y,z ) में से केवल एक निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होता है तो इस स्थिति में पिंड एक सरल रेखा में गति करता है । इसे एकविमीय गति (One Dimensional Motion) या सरल रेखीय गति (Rectilinear Motion) कहते है। यदि पिंड के दो निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होते है तो पिंड एक समतल में गति करता है। इसे द्विविमीय गति (Two Dimensional Motion) या समतल में गति (Motion in a Plane)कहते है। त्रिविमीय गति (Three Dimensional Motion) या आकाश (Space) में होने वाली गति में पिंड के तीन निर्देशांक समय के साथ परिवर्तित होते है।

गति के प्रकार (Types of Motion)

गति को विभिन्न आधारों पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे:

  • गति की दिशा के आधार पर
    • एकदिश गति
    • बहुदिश गति
  • गति की गतिशीलता के आधार पर
    • रेखीय गति
    • वृत्तीय गति
    • घूर्णी गति
    • दोलन गति
  • गति की नियमितता के आधार पर
    • एकसमान गति
    • असमान गति
  • गति के कारण के आधार पर
    • प्राकृतिक गति
    • कृत्रिम गति

गति के विभिन्न प्रकार

प्रकारपरिभाषाउदाहरण
रैखिक गतिजब कोई वस्तु एक सरल रेखा पर गति करती है, तो उसे रैखिक गति कहते हैं।एक कार जो सीधी सड़क पर चल रही हो, एक गेंद जो सीधे गति कर रही हो, आदि।
वृत्तीय गतिजब कोई वस्तु एक वृत्त पर गति करती है, तो उसे वृत्तीय गति कहते हैं।पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर गति, एक पंखे के ब्लेड की गति, आदि।
घूर्णी गतिजब कोई वस्तु अपनी धुरी के चारों ओर गति करती है, तो उसे घूर्णी गति कहते हैं।एक पहिया की गति, एक इलेक्ट्रिक मोटर की गति, आदि।
दोलन गतिजब कोई वस्तु एक निश्चित बिंदु के चारों ओर आगे-पीछे गति करती है, तो उसे दोलन गति कहते हैं।एक लोलक की गति, एक पुल की लहर, आदि।
आवर्त गतिजब कोई वस्तु एक निश्चित समय अंतराल के बाद अपनी गति को दोहराती है, तो उसे आवर्त गति कहते हैं।एक पेंडुलम की गति, एक स्प्रिंग की गति, आदि।
अनियमित गतिजब कोई वस्तु अपनी गति की दिशा या गति को अनियमित रूप से बदलती रहती है, तो उसे अनियमित गति कहते हैं।एक पक्षी का उड़ना, एक नाव की लहरें, आदि।
गति के विभिन्न प्रकार

प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion)

जब किसी पिंड को कुछ प्रारंभिक वेग देकर फेंका जाता है तो वह गुरुत्वीय बल के प्रभाव में परवलयाकार पथ पर गति करने लगता है। परवलयाकार पथ में होने वाली इस गति को प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion) कहते है। किसी खिलाड़ी द्वारा फेंकी गेंद की गति, बन्दूक से छोड़ी गयी गोली की गति आदि प्रक्षेप्य गति (Projectile Motion) के उदाहरण है।

वर्तुल गति (Circular Motion)

किसी वृत्ताकार पथ में होने वाली गति को वर्तुल गति ( Circular Motion ) कहते है। सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति , वृत्ताकार पथ पर खिलौना ट्रेन की गति आदि वर्तुल गति (Circular Motion) के उदाहरण है। जब पिंड वृत्ताकार पथ पर एकसमान चाल से चलता है तो इसे एकसमान वृत्तीय गति कहते है। जब पिंड वृत्ताकार पथ पर एकसमान चाल से गति करता है तो उसके वेग में निरंतर परिवर्तन होता रहता है जिसकी दिशा सदैव वृत्ताकार पथ पर स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है तथा वेग में परिवर्तन से उत्पन्न त्वरण की दिशा वृत के केंद्र की ओर होती है।

स्थानांतरण गति (Translatory Motion)

जब समतल पर रखे किसी पिंड को धक्का लगाते है तो वह एक सरल रेखा में गति करने लगता है तथा पिंड का प्रत्येक कण समान वेग से गति करता है। पिंड में होने वाली इस प्रकार की गति को स्थानांतरण गति (Translatory Motion) कहते है।

घूर्णी गति (Rotatory Motion)

यदि कोई पिंड स्थिर अक्ष पर घूर्णन करता है तो उसमें होने वाली गति को घूर्णी गति (Rotatory Motion) कहते है। जब पिंड घूर्णी गति (Rotatory Motion) करता है तो उसमें स्थानांतरण गति नहीं होती है। छत के पंखे की गति, चक्की के पाटों की गति आदि घूर्णी गति के उदाहरण है।

लुढ़कन गति (Rolling Motion)

जब कोई पिंड नत तल पर लुढ़कता है तो उसमें होने वाली गति को लुढ़कन गति (Rolling Motion) कहते है। लुढ़कन गति करते पिंड में स्थानांतरण गति एवं घूर्णी गति दोनों साथ -साथ उपस्थित होती है।

आवर्ती गति (Periodic Motion)

जब कोई पिंड नियत समय अंतराल पश्चात अपनी गति की पुरावृती करता है तो उसमें होने वाली गति को आवर्ती गति (Periodic Motion) कहते है। एक समान वर्तुल गति, सरल लोलक की गति, झुला झुलते बालक की गति, स्प्रिंग को खींचने पर होने वाली गति आदि आवर्ती गति (Periodic Motion) के उदाहरण है।

जब कोई वस्तु एक निश्चित समयान्तर से एक निश्चित पथ को बार- बार दोहराती है तो वस्तु की इस दोहरायी जाने वाली गति को आवर्ती गति (Periodic Motion) कहते हैं। अर्थात कोई गति जो निश्चित अंतराल के बाद पुनरावृति करती है, आवर्ती गति कहलाती है।
आवर्त गति का एक पूर्ण चक्र पूरा करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है।

आवर्ती गति के उदाहरण

  • सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमण गति
  • पृथ्वी की अपनी धुरी के परित: घूर्णन गति
  • सरल लोलक की गति
  • झूला झूलते हुए बालक की आगे-पीछे की गति
  • कीट का किसी रैम्प पर चढ़ना व गिरना

दोलन गति (Oscillatory Motion)

यदि कोई वस्तु एक निश्चित बिन्दु के इधर-उधर निश्चित समय में बार- बार अपनी गति को दोहराती है तो वस्तु की गति को दोलन गति (Oscillatory Motion) कहते है।

झुला झुलता हुआ बालक अपनी माध्य स्थिति से आगे पीछे गति करता है। इस गति को दोलन गति (Oscillatory Motion) कहते है। एक समान वर्तुल गति करते पिंड की गति आवर्ती होती है, दोलनी नहीं। क्योंकि इस स्थिति में पिंड अपनी माध्य स्थिति के आगे पीछे गति नहीं करता है। दोलन गति, आवर्ती गति का ही एक रुप है।

दोलन गति के उदाहरण
  • सरल लोलक की आवर्त गति
  • झूला झूलते हुए बालक की आगे-पीछे की गति

कम्पन गति

वह गति जिसमें वस्तु कम्पन करती है, उसे कम्पन गति कहते हैं। कम्पन करती हुई वस्तु के कण निश्चित समय बाद अपने पथ को दोहराते हैं। अतः कम्पन गति, आवर्तगति का उदाहरण है।

द्विविमीय गति

द्विविमीय गति या समतल में होने वाली गति में कण एक समतल पर किसी भी दिशा में गतिमान हो सकता है। द्विविमीय गति में कण के गति का पथ निर्देशांक निकाय के दो अक्षों (x,y या y,z या z,x) पर निर्भर करता है।

द्विविमीय गति के उदाहरण

समतल सड़क पर कार की गति, वर्तुल गति, प्रक्षेप्य गति आदि द्विविमीय गति के उदाहरण है|

सरल रेखीय गति

सरल रेखीय या एक विमीय गति (One Dimensional Motion) गति में कण एक सीधी रेखा में गतिमान होता है। सरल रेखीय गति में कण की गति का पथ निर्देशांक-निकाय के एक अक्ष (x, y, z में से एक अक्ष ) के अनुदिश मानते है। कण की प्रारंभिक स्थिति को हम x-अक्ष के मूल बिन्दु O पर मानते है। मूल बिन्दु O के दांयी ओर के निर्देशांक को हम धनात्मक तथा बांयी ओर के निर्देशांक को हम मानते है। सरल रेखीय गति में कण द्वारा तय की गई कुल लंबाई पथ-लंबाई कहलाती है। पथ-लंबाई एक अदिश राशि है।

गति के समीकरण

एकसमान त्वरित गति के तीन मुख्य समीकरण निम्न है-

एक समान त्वरित गति का प्रथम समीकरण

v = u + at

एक समान त्वरित गति का द्वितीय समीकरण

s = ut + ½ at2

एक समान त्वरित गति का तृतीय समीकरण

v2 = u2 + 2as जहां,

  • s = विस्थापन।
  • v = वस्तु का अंतिम वेग।
  • u = वस्तु का प्रारंभिक वेग।
  • a = त्वरण।

गति के समीकरण – सारणी

समीकरणविवरणप्रयुक्त राशियाँ
v = u + atवेग-समय संबंधu = प्रारंभिक वेग, v = अंतिम वेग, a = त्वरण, t = समय
s = ut + ½at²विस्थापन-समय संबंधs = विस्थापन, u = प्रारंभिक वेग, a = त्वरण, t = समय
v² = u² + 2asवेग-विस्थापन संबंधu = प्रारंभिक वेग, v = अंतिम वेग, a = त्वरण, s = विस्थापन
गति के समीकरण – सारणी
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