कीटभक्षी पादप

वे पादप जो अपना भोजन कीटों से प्राप्त करते है कीटभक्षी पादप (पौधे) कहलाते है। इन्हें मांसाहारी पादप भी कहते है। इन पादपों की रचना इस प्रकार होती है कि कीट इनमें फंस जाते है। इन पौधों में विशेष प्रकार के पाचक रस होते है जो इन कीटों को पचा डालते है। ये पादप दलदली क्षेत्र में पाए जाते है। इन क्षेत्रों में नाइट्रोजन की पूर्ति अपर्याप्त होती है। नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए ये पौधे कीटों का भक्षण करते है।

कीटभक्षी पादप के उदाहरण

ब्लैडरवर्ट (यूट्रीकुलेरिया), घटपर्णी पादप (पिचर प्लांट), वीनस फ्लाइ ट्रैप, ड्रोसेरा, सरसैनिया, नेपेंथिस, डायोनिया आदि कीटभक्षी पादपों के उदाहरण है।

घटपर्णी पादप (Pitcher plant)

घटपर्णी पादप में पत्तियाँ घड़े (घट) में रूपान्तरित हो जाती हैं। पत्ते का शीर्ष भाग घड़े का ढक्कन बनाता है। घड़े में नीचे की ओर झुके हुए रोम पाए जाते हैं। घड़े का मुख वाला भाग चिकना होता है जिससे जब कोई कीट घड़े में प्रवेश करता है तो फिसल कर गर्दन वाले भाग में पाए जाने वाले रोमों में फंस जाता हैं। रोम नीचे की तरफ झुके रहते हैं जिससे यह कीट बाहर नहीं निकल सकते हैं। घड़े में पाचक रस होते हैं जो इन कीटों को पचा डालते हैं।

इसे नेपिन्थिस के नाम से भी जाना जाता है। यह कीटभक्षी पौधा असम की खसिया और गारो पहाड़ियों पर पाया जाता है।

ड्रोसैरा

इसे सनड्यूज़ भी कहते हैं। यह एक बहुत सुंदर कीटभक्षी पौधा है जो शिमला, मसूरी और नैनीताल में पाया जाता है। ड्रोसेरा को मक्खाजाली भी कहा जाता है। इसकी गोल-गोल पत्तियों के किनारे लाल रंग की घुण्‍डी वाले आलपिन सरीखे बाल होते हैं जिनसे एक चिपचिपा रस निकलता रहता है। ड्रोसैरा पौधे से निकला यह रस धूप की रोशनी में ओस की तरह चमकता है। छोटे कीट पतंगों को यही रस चिपका लेता है और फिर घुण्डियां मुड़कर चारों ओर से उसे घेर लेती हैं।

डायोनिया

इसमें कीट पतंगों को पकड़ने वाला फंदा जमीन पर सजी पत्तियां होती हैं। यह भी ड्रोसैरा की तरह ही शिकार करता है। यह अमेरिका में पाया जाता है। इसके अपने शिकार को पचाने में एक हफ्ते से अधिक का समय लग जाता है। डायोनिया मस्कीप्यूला कीटभक्षी पौधों में सबसे खतरनाक माना जाता है। इसके वार से कोई कीट नहीं बच सकता। इसके दो पत्ते इसके लिए शिकार का काम करते हैं जिनके ऊपर लगे बाल इतने सक्रिय होते हैं कि चींटी तक की मौजूदगी तक पहचान लेते हैं। जैसे ही शिकार करीब आता है 1 सेकंड में उसे निगल लेता है।

सेरोसेनियाइस

इस पौधे में थैली नुमा पत्तियां जमीन पर एक झुंड में सजी रहती हैं। आकर्षक रंग की इन पत्तियों पर कुछ ग्रंथियां रहती हैं जिनमें शहद होता है। कीट पतंगे इसके रंग और शहद के कारण थैली के भीतर चले जाते हैं और कांटों में फंस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते।

ब्लैडरवर्ट (यूट्रीकुलेरिया)

यह सामान्यतः साफ पानी में पाया जाता है। इसकी कुछ प्रजाति पहाड़ी सतह वाली जगह में भी मिलती हैं। वर्षा मौसम के इसकी वृद्धि अधिक होती है। इसकी पत्तियां गोल गुब्बारेनुमा होती हैं। जैसे ही कोई कीट-पतंगा इसके नजदीक आता है इसमें मौजूद रेशे उसे जकड़ लेते हैं। पत्तियों में निकलने वाला एंजाइम कीटो को खत्म करने में मदद करता है।

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