द्रव (Liquid)

वह द्रव जिसकी संपीड्यता तथा श्यानता दोनों ही शून्य होती है, आदर्श द्रव कहलाता है।

वास्तव में कोई भी द्रव पूरी तरह से आदर्श द्रव नहीं होता है।

धारारेखीय एवं प्रक्षुब्ध प्रवाह

जब कोई द्रव इस प्रकार प्रवाहित होता है कि किसी एक ही बिंदु में होकर गुजरने वाले द्रव के सभी कण एक ही पथ पर चलते हैं तो द्रव के प्रवाह को धारारेखीय प्रवाह कहते हैं। तथा उस पथ को धारा रेखा कहते हैं।

धारा रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर द्रव की वेग की दिशा प्रदर्शित करती है

किसी द्रव का धारारेखीय प्रवाह द्रव की सुव्यवस्ठित एवं नियमित गति है।

यदि हम बहुत सी धारा रेखाओं से बनी एक नली की कल्पना करें तो उस नली को धारारेखीय नली कहेंगे।

प्रक्षुब्ध प्रवाह

किसी द्रव का प्रवाह धारा रेखी तभी तक रहता है जब तक की उसके बहने का वेग एक निश्चित मान से कम रहता है। इससे अधिक वेग हो जाने पर प्रवाह धारा रेखी न रहकर प्रक्षुब्ध हो जाता है।

प्रक्षुब्ध प्रवाह में द्रव की गति अनियमित व टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है तथा द्रव के भीतर भवर धाराएं उत्पन्न हो जाती हैं।

क्रांतिक वेग किसे कहते हैं ?

द्रव के पदार्थ का वह अधिकतम वेग जहाँ तक द्रव का प्रवाह धारा रेखी बना रहता है, द्रव का क्रांतिक वेग कहलाता है। क्रांतिक वेग को ‘vc’ से प्रदर्शित करते हैं।

रेनॉल्ड्स संख्या

रेनॉल्ड्स संख्या किसी द्रव के प्रवाह की स्थिति का निर्धारण करता है कि वह द्रव धारा रेखी है अथवा प्रक्षुब्ध प्रवाह में है। रेनॉल्ड्स संख्या को Re से प्रदर्शित करते हैं।

  • यदि रेनॉल्ड्स संख्या का मान 1000 से कम है तो तरल का प्रवाह धारा रेखी होगा।
  • यदि रेनॉल्ड्स संख्या का मान 1000 तथा 2000 के बीच है तो प्रवाह परिवर्ती होगा।
  • यदि रेनॉल्ड्स संख्या का मान 2000 से अधिक है तो प्रवाह प्रक्षुब्ध होगा।

बरनौली का सिद्धांत : जब कोई असंपीड्य द्रव एक स्थान से दूसरे स्थान तक धारा रेखीय प्रवाह में बहता है तो उसके मार्ग के हर एक बिंदु पर इसके प्रति एकांक आयतन की कुल ऊर्जा (अर्थात दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा) एक नियतांक होता है।

अर्थात एकांक आयतन की कुल ऊर्जा = नियतांक (constant)

$$P + \frac{1}{2} \rho {v^2} + \rho gh = constant$$

बरनौली प्रमेय पर आधारित अनुप्रयोग

  • वेंटूरिमापी
  • एयरोफॉइल आकृति (हवाई जहाज के पंखों की आकृति)
  • बुंसन बर्नर
  • फ़िल्टर पंप
  • आंधी में टिन का उड़ना
  • फव्वारे पर टिकी गेंद
  • मैगनस प्रभाव
  • गहरा जल सदैव शान्त होता है।
  • रक्त प्रवाह तथा दिल का दौरा

सीमांत वेग

द्रव में गिरते हुए गोली को गति देने वाले प्रभावी बल, श्यान बल के बराबर हो जाने पर गोली पर लगने वाला नेट बल शून्य हो जाता है। अतः गोली एक नियत वेग से चलने लगती है जिसे गोली का अंतिम वेग अथवा सीमांत वेग कहते हैं।

स्टोक्स का नियम

स्टोक्स ने यह सिद्ध किया कि r त्रिज्या की एक सूक्ष्म गोली किसी अनंत विस्तार वाले पूर्णतः समांग श्यान माध्यम में सीमांत वेग v से गति कर रहा हो तो गोले पर श्यान बल F=6πrηv होता है। यही स्टोक्स का नियम या सूत्र कहलाता है।

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