अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। जिसे राजस्थान में आडावाला पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत श्रेणी है,जो गोडवाना लेंड का अस्तित्व है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। इसकी उत्पत्ति प्रिकेंबियन युग में हुई।। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर है, जो माउंट आबू में है। अरावली पर्वतमाला के आस – पास सदियों से भील जनजाति निवास करती रही है।
पर्वत माला का निर्माण पृथ्वी के गर्म लावा का धरताल पर प्रगट होने से होता हैं। दुनिया के इन सबसे पुराने पहाड़ों को बनाने के लिए टेक्टोनिक प्लेटों और मैग्मा के बाहर निकलने में लगभग दो बिलियन वर्ष लगे हैं।
यह पर्वत श्रंखला 350 करोड़ वर्ष पुरानी है जो हिमालय पर्वतमाला से भी पुरानी है। इस प्रकार यह भारत में वलित पर्वतों की सबसे पुरानी श्रेणी है। 692 किमी के क्षेत्र में फैले अरावली गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा राज्यों को कवर करते हैं। अरावली का निर्माण लाखों साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप का मुख्य भूमि यूरेशियन प्लेट के टकराने से हुआ था। अरावली या ‘अर्वली’ उत्तर भारतीय पर्वतमाला है। भारत की भौगोलिक संरचना में अरावली प्राचीनतम पर्वत है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है, जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बाँटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही ज़िले में ‘गुरुशिखर’ (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली है।
अरावली पर्वतमाला की विशेषताएं
अरावली पर्वतमाला भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला है और इसका निर्माण तब हुआ है जब भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट समुद्र से अलग हो गए थे। पर्वतमाला का गठन प्रीकैम्ब्रियन युग के दौरान अरावली-दिल्ली ऑरोजेन नामक एक घटना के दौरान हुआ था। इसके अतिरिक्त, अरावली पर्वतमाला दक्षिण-पश्चिम और उत्तर-पूर्वी में है। जो भारतीय प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है। पर्वतमाला पृथ्वी की पपड़ी के दो खंडों को मिलाती है जो भारतीय क्रेटन को बनाते हैं। अरावली क्रेटन और बुंदेलखंड क्रेटन।
अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर
अरावली पर्वतमाला में सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर है, जो माउंट अर्बुडा पर स्थित है और इसकी ऊंचाई 5,650 फीट है। यह चोटी राजस्थान में माउंट आबू से लगभग 9.3 मील की दूरी पर स्थित है। “गुरु की चोटी” के रूप में भी जाना जाता है। गुरु शिखर का नाम दत्तात्रेय के नाम पर रखा गया है। जो की एक हिंदू देवता है और शिखर पर एक गुफा है जो उन्हें समर्पित एक मंदिर है।
अरावली पर्वतमाला में बहने वाली नदियां
लूनी, साहिबी और चंबल तीन मुख्य नदियाँ अरावली रेंज से होकर बहती हैं। लूनी नदी पुष्कर घाटी से कच्छ के रण तक फैली हुई है, जबकि साहिबी और चंबल नदियाँ यमुना की शाखाएँ हैं। उत्तर-दक्षिण में बहने वाली नदियाँ की तरह, लूनी राजस्थान सीमा के पश्चिमी ढलानों से शुरू होती हैं और थार रेगिस्तान के दक्षिण-पूर्वी हिस्से से होकर गुजरात में बहती हैं।
पश्चिम-उत्तर की ओर बहने वाली नदियाँ राजस्थान से निकलती हैं और दक्षिणी हरियाणा में बहने से पहले शेखावाटी क्षेत्र से होकर बहती हैं। साहिबी नदी मनोहरपुर के पास से निकलती है और हरियाणा से होकर दिल्ली तक जाती है। जहां यह यमुना में मिल जाती है। पश्चिम-उत्तर-पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ जैसे चंबल, राजस्थान सीमा के पूर्वी हिस्से से निकलती हैं।
अरावली पर्वतमाला में खनिज
अरावली की आधार चट्टानें पूर्व-विद्यमान संरचनाओं से उच्च श्रेणी की क्षेत्रीय मेटामॉर्फिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित मेवाड़ गनीस की हैं जो मूल रूप से प्रारंभिक जीवन शैली के साथ अवसादी चट्टान थीं जो कि आर्कियन ईऑन के दौरान बनाई गई थीं। अरावली पर्वत के विवर्तनिक विकास से पता चलता है कि मेवाड़ गनीस चट्टानें दिल्ली सुपरग्रुप प्रकार की चट्टानों से ओवरलेन हैं जिनमें अरावली घुसपैठ भी होती है। धातु सल्फाइड अयस्कों का निर्माण दो अलग-अलग युगों में हुआ, लेड और जिंक सल्फाइड अयस्कों का निर्माण पालियोप्रोटेरोज़ोइक चरण के दौरान तलछटी चट्टानों में हुआ था। हरियाणा-दिल्ली में दिल्ली के सुपरग्रुप चट्टानों में जस्ता-सीसा-कॉपर सल्फाइड खनिज के विवर्तनिक सेटिंग का निर्माण मेसोप्रोटेरोज़ोइक के दौरान हरियाणा और राजस्थान को कवर करने वाले मेंटल प्लम ज्वालामुखी क्रिया में किया गया था। अरावली सुपरग्रुप के दक्षिणी भाग में आर्क बेस मेटल सल्फाइड पश्चिमी सीमा पर सबडक्शन जोन के पास और दक्षिण-पूर्व में बैक-आर्क विस्तार के क्षेत्रों में उत्पन्न हुए थे। रॉक फॉस्फेट, एस्बेस्टोस, एपेटाइट, केनाइट, बेरिल और सीसा-जस्ता-चांदी के जमा जैसे खनिजों की व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य मात्रा भी है।
अरावली पर्वतमाला की जलवायु
दिल्ली और हरियाणा में, उत्तरी अरावली पर्वतमाला में एक आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु और एक गर्म अर्ध-शुष्क जलवायु है जिसमें बहुत गर्म ग्रीष्मकाल और ठंडी सर्दियाँ होती हैं। हिसार में, जलवायु की मुख्य विशेषताएं सूखापन, अल्प वर्षा और तापमान का चरम है। गर्मियों के दौरान अधिकतम दिन का तापमान 40 ° C और 46 ° C के बीच भिन्न होता है। सर्दियाँ सबसे ठंडी होती हैं, जिसका तापमान 2 ° C और 4 ° C के बीच होता है। राजस्थान में मध्य अरावली श्रेणी में शुष्क और शुष्क जलवायु है। जबकि, गुजरात में सीमा के दक्षिणी भाग में उष्णकटिबंधीय आर्द्र और शुष्क जलवायु है।
अरावली की चोटियां
1 गुरु शिखर – सिरोही (1722 m)
2 सेर – सिरोही (1597m)
3 दिलवाडा – सिरोही (1442m)
4 जरगा – उदयपुर (1431m)
5 अचलगढ – सिरोही (1380m)
6 आबू पर्वत -सिरोही (1295m)
7 कुम्भलगढ़-राजसमंद (1224m)
8 जेलिया डूंगर -उदयपुर (1166m)
9 धोनिया – सिरोही (1183m)
10 जयराज की पहाड़ी -सिरोही -(1090m)
11 रघुनाथगढ- सीकर -(1055 m) (उतरी अरावली का सर्वोच्च शिखर)
12 लोहार्गल-झुंझनु -(1051m)
13 ऋषिकेश-सिरोही-(1017m)
14 कमलनाथ- उदयपुर-(1001m)
15 सजनगढ- उदयपुर-(938m)
16 मोरामजी टाड्गढ (934m) मध्य अरावली का सर्वोच्च शिखर
17 खो – जयपुर- (920m)
18 सांभर – जयपुर-(900m)
19 तारागढ – अजमेर- (873 m)
20 बिलाली – अलवर (775m)
21 रोजा भाकर – जालौर (730m)
22 भेराच – अलवर, तोशाम -हरियाणा। दुल्हेड़ी-हरियाणा।
अरावली पर्वतमाला में स्थित पठार
- उड़िया पठार : यह भारत देश के राजस्थान राज्य के सिरोही जिले में स्थित है। यह राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार है, जिसकी ऊंचाई 1360 मीटर है।
- आबू का पठार: यह भारत देश के राजस्थान राज्य के सिरोही जिले के माउंट आबू नामक स्थान पर स्थित है। इस पठार की औसत ऊंचाई 1200 मीटर है। यह राजस्थान का दूसरा सबसे ऊंचा पठार है।
- भोराठ का पठार: यह भारत देश के राजस्थान राज्य के राजसमंद एवं उदयपुर जिलों में स्थित है। यह पठार कुंभलगढ़ व गोगुंदा नामक पहाड़ियों के मध्य फैला हुआ है।
- ऊपरमाल का पठार: ऊपरमाल का पठार भारत देश के राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा व चित्तौड़गढ़ जिलों में स्थित है। यह पठार बिजोलिया (भीलवाड़ा) से भैंसरोड़गढ़ (चित्तौड़गढ़) तक फैला हुआ है।
- देशहरो का पठार: राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में रागा व जरगा पहाड़ी के मध्य स्थित पठार को देशहरो का पठार कहते है।
- मानदेसरा का पठार: मानदेसरा का पठार भारत देश के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। यह पठार भैंसरोड़गढ़ अभयारण्य क्षेत्र में फैला हुआ है।
- लसाड़िया का पठार: लसाड़िया का पठार भारत देश के राजस्थान राज्य के उदयपुर व राजसमंद जिले में स्थित है। यह पठार जयसमंद झील के पूर्व में फैला हुआ है।
- मेसा का पठार: मेसा का पठार भारत देश के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है। इस पठार की औसत ऊंचाई 620 मीटर है। चित्तौड़ दुर्ग इसी पठार पर स्थित है।
- कांकनबाड़ी का पठार: कांकनबाड़ी का पठार राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है। यह पठार सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र में फैला है।
अरावली पर्वतमाला में स्थित दर्रे
- कामलीघाट दर्रा: कामलीघाट दर्रा राजस्थान के राजसमंद व पाली जिले में स्थित है।
- सूराघाट दर्रा: सूराघाट दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- पगल्या नाल: पगल्या नाल राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है। इसे जीलवा नाल भी कहते है।
- गोरम घाट दर्रा: गोरम घाट दर्रा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
- बर दर्रा: बर दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- देसूरी की नाल: देसूरी की नाल राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
- हाथीगुडा की नाल: हाथीगुडा की नाल राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
- लाखेरी का दर्रा: लाखेरी का दर्रा राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है।
- खटखड का दर्रा: खटखड का दर्रा राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है।
- फुलवारी की नाल: फुलवारी की नाल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है।
- देवारी दर्रा: देवारी दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- पीपली दर्रा: पीपली दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- केवड़ा की नाल: केवड़ा की नाल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है
- खामली दर्रा: खामली दर्रा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
- हल्दीघाटी दर्रा: हल्दीघाटी दर्रा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।
- जेतवास का दर्रा: जेतवास का दर्रा राजस्थान के बूंदी जिले में स्थित है।
- उदाबारी दर्रा: उदाबारी दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- सरूपाघाट दर्रा: रूपाघाट दर्रा राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित है।
- सोमेश्वर दर्रा: सोमेश्वर दर्रा राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित है।